۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
جمکران

हौज़ा / आज 15 शाबान, 29 मार्च 2021 को इस संसार के अंतिम मुक्तिदाता हज़रत इमाम मेंहदी (अ.त.फ.श.) का शुभ जन्म दिवस है। पूरी दुनिया इस इमाम मेहदी (अ.त.फ.श.) के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर जश्न में डूबी हुई है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत इमाम मेंहदी(अ.स.)धरती पर ईश्वर के अंतिम दूत पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद (स.अ.व.व.) के अंतिम उतराधिकारी हैं। उनका जन्म 15 शाबान, शुक्रवार के दिन, सुबह के समय, 255 हिजरी क़मरी में सामर्रा शहर में हुआ था। हज़रत इमाम मेहदी (अ.त.फ.श.) के पिता का नाम इमाम हसन अस्करी(अ.स.)और माता का नाम नरजिस ख़ातून है। जब उनका जन्म हुआ तो उस समय का शासक मोअतमिद अब्बासी था। उनका नाम मुहम्मद और उनकी उपाधि अबुल क़ासिम है। हज़रत इमाम मेंहदी (अ.त.फ.श.) का जीवन तीन कालों में बंटा हुआ है। पहला काल जन्म से 260 हिजरी क़मरी तक जिसमें उनके पिता हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम की शहादत हुई, दूसरा काल 260 से 329 हिजरी क़मरी तक है जिसमें वह दूसरों की नज़रों से ओझल रहे और केवल कुछ लोगों के माध्यम से ही जनता के संपर्क में थे, इस काल को ग़ैबते स़ुग़रा का नाम दिया गया, तीसरा काल वह पूरी तरह लोगों की नज़रों से ओझल हो गए जिसे ग़ैबते कुबरा का नाम दिया जाता है। यह काल 329 हिजरी क़मरी से आरंभ हुआ और अब तक तक जारी है और ईश्वर जबतक चाहेगा तबतक इस काल को जारी रखेगा।
संसार के अंतिम मुक्तिदाता हज़रत इमाम मेहदी अलै(अ.त.फ.श.) के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर पूरा ईरान जश्न में डूबा हुआ है। पवित्र शहर मशहद और क़ुम में कोविड-19 की गाइडलाइन्स का पालन करते हुए हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद हैं। पवित्र नगर क़ुम में स्थित मस्जिदे जमकरान में रविवार रात से ही विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। ईरान के हर बड़े छोटे शहरों में जनता एक दूसरे को मुबारकबाद पेश कर रही है और मिठाईयां तथा शरबत बांट रही है। वहीं इराक़ में भी इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के मौक़े पर जश्न का माहौल है। पवित्र नगर नजफ़ और कर्बला में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हैं। भारत में भी हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर पारंपारिक तरीक़े से लोग जश्न मना रही है। बता दें कि, भारतीय मुसलमानों में प्रचलित परंपरा के अनुसार 15 शाबान की रात को, जो शबे बरात के नाम से मशहूर है, बहुत से मुसलमान सुबह तक जागते हैं और क़ब्रिस्तानों में जाकर अपने परिजनों की क़ब्रों पर फ़ातेहा पढ़ते हैं, चराग़ जलाते हैं और उनके लिए दुआ करते हैं।
उल्लेखनीय है कि, हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम अपने जन्म के कुछ वर्षों के बाद से आजतक महान व सर्वसमर्थ ईश्वर के आदेश से लोगों की नज़रों से ओझल हैं और जब दुनिया पूरी तरह अत्याचारों, भेदभाव और अन्याय से भर जाएगी तब महान ईश्वर के आदेश से इमाम मेंहदी (अ.स.) लोगों के समक्ष प्रकट होंगे और पूरी दुनिया को न्याय व शांति से भर देंगे। आज पूरी दुनिया ईश्वर के इस अंतिम दूत और मुक्तिदाता का इंतेज़ार कर रही है।
इस शुभ अवसर पर सभी को मुबारकबाद पेश करते है.

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .